अपर्णा की इस युक्ति ने दिलाई हरदोई के वॉर्ड-21 को कचड़े के ढेर से मुक्ति
कभी-कभार ऐसा होता है, की हम जानते हुए भी की कुछ गलत हो रहा है, हम सिर्फ इस वजह से आवाज नहीं उठा पाते क्यूंकी हम डरते हैं, लेकिन कुछ लोग होते हैं, जो अपनी बात पूरी निर्भीकता के साथ रखने का दम रखते हैं। ऐसी ही निर्भीक और जुझारू बिटिया है हमारी अपर्णा, जिसने न सिर्फ गलत को गलत कहने का साहस दिखाया बल्कि उस गलत को सही करने का बीड़ा भी उठाया।
हमारी अपर्णा जो की बचपन से पढ़ने लिखने मे अव्वल रही और अब एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर है, हरदोई में अपनी नानी के साथ रहती है। अपर्णा हमेशा से अपने समाज के लिए कुछ करना चाहती थी और इसके लिए अनेकों सामाजिक कार्यों से जुड़ी रहती है।
अब बात करे जनपद हरदोई की तो, यह राज्य की राजधानी से लगा हुआ एक प्रशासनिक एवं औद्योगिक महत्व रखने वाला जिला है, एक समय में देश के पिछड़े जिलों मे शुमार यह जनपद वर्तमान मे प्रगति के नए सोपन स्थापित कर रहा है। कई औद्योगिक समूहों ने अपने कारखाने जनपद मे स्थापित कर लिए हैं, जिसकी वजह से न सिर्फ जनपद की जनता का आर्थिक विकास संभव हो पाया है, अपितु लोगों की जीवनशैली मे भी बदलाव हो रहा है।
एक और जहाँ लोगों ने स्वस्थ्य जीवन शैली को अपनाना शुरू कर दिया वही दूसरी और कुछ ऐसी आदते भी हैं, जिन्हे अतिआवश्यक रूप से बदलने की जरूरत है, लेकिन कभी समुचित व्यवस्थाओं के चलते अथवा कभी अपनी दकियानूसी सोच के चलते, यह आदतें नहीं बदली जा रही। इन्ही आदतों मे शुमार है प्रतिदिन घर से निकलने वाले कूड़े का सही रूप से निपटारण करना, जिसके लिए अब तो सरकार ने एक विहद मूहिम भी चला रखी है, साथ ही साथ तमाम गैर सरकारी संगठनों ने भी इस मूहिम मे बढ़ चढ़ कर सहयोग किया है। ऐसी ही एक मूहिम की शुरुवात जनपद हरदोई में डी सी एम श्रीराम फाउंडेशन के द्वारा खुशहाली स्वच्छता नाम से की गई है।
इसी मूहिम के अंतर्गत हमारी टीम जब हरदोई शहर के वॉर्ड संख्या- 21 मे पहुंची तो उसका सामना अनेकों मुश्किलों से हुआ इन मुश्किलों से लड़ने का हौसला हमारी टीम को अपर्णा जैसे लोगों से ही मिलता है।
जब हम अपर्णा से मिले तो उस वक्त मुख्य समस्या यह थी की कुछ लोग ऐसे थे, जो की अपने घर का कूड़ा, हमारे स्वच्छवीरों का नही दे रहे थे बल्कि चुपके से गली के कोने मे फेंक आते थे, गली के इसी कोने पर मकान है अपर्णा का, वो स्वयं भी इस बात से परेशान थी क्योंकि अक्सर ही उसके घर के पास कूड़े का ढेर लग जाता था। उस कूड़े मे मौजूद सब्जियों और फलों के छिलके खाने छुट्टा पशुओ की भीड़ इनके दरवाजे इकट्ठा हो जाती थी, यहाँ तक की एक बार एक साँड़ ने इनके परिवार के किसी बच्चे पर हमला तक कर दिया और बच्चे को काफी चोटें आई। इन सब समस्याओ से निजात पाने के लिए फिनिश सोसाइटी की टीम के साथ मिलकर अपर्णा ने एक योजना बनाई। अपने स्वयं की बचत से अपर्णा ने अपने घर के मुख्य द्वार पर एक सी-सी टीवी कैमरा लगवा लिया और नजर रखने लगी, की कौन है वो लोग, जो चुपके से इनके घर के पास कूड़ा फेंक जाते हैं और शीघ्र ही इनके पास सबकी सूची तैयार थी की कौन है वो लोग जो इस तरह की हरकत कर रहे हैं, अपर्णा चाहती तो सबसे लड़ती अथवा इन लोगों की विडिओ सोशल मीडिया पर डाल उन्हे बेइज्जत कर सकती थी लेकिन इस बिटिया ने कोई अनावश्यक कदम उठाने के बजाए फिनिश सोसाइटी की टीम के साथ मिलकर हर उस व्यक्ति के साथ अलग-अलग मिलकर चर्चा करनी शुरू की उन्हे समझाया की कूड़े का सही निपटान आखिर क्यूँ आवश्यक है, और जब अपर्णा ने इस तरह से सबसे बात की तो उन सभी लोगों को अपने किए जा रहे कार्य से शर्मिनदिगी महसूस हुई और उन सबने अपर्णा से क्षमा मांगी और वादा किया की भविष्य में सही रास्ते का अनुसरण करते हुए, अपने घरेलू कूड़े का निपटान करेंगे। अपर्णा जैसी बेटियाँ ही हमारे उभरते स्वच्छ और स्वस्थ भारत की उम्मीद हैं।