“स्वच्छता के लिए एक आदर्श: करौली का चैंपियन”
“हमारे इस जन्म की परिस्थितिया हमारे पूर्व जन्म के कर्मों पर निर्भर करती हैं, इसलिए अपने जीवन में अच्छे कर्म करते रहने चाहिए, ताकि आपको जीवन के कठिन दौर मे भी साहस मिले, कभी किसी को चोट मत पहुँचाओ”
बृजमोहन को अपनी प्रमुख प्रेरणा अपने पिता से मिली, एक बार इनके पिता ने एक रात के खाने के दौरान इन्हे और इनके भाइयों और बहनों से कहा कि- यही वह क्षण था जब बृजमोहन जी ने निश्चय किया कि, वे अपना जीवन जनसेवा में समर्पित कर यथासम्भव दूसरों की मदद करेंगे। उस समय वह भगवान की पूजा करने लगे और हारमोनियम बजाना भी सीखा। उस दिन से लेकर आज तक वह रोज मंदिर जाते हैं, भगवान से कामना करते है की सबको सद्बुद्धि मिले। ऐसी ही एक पूजा के दौरान उनके मन में एक विचार आया कि वे सामाजिक कार्य करें ताकि वे लोगों की सेवा कर सकें, लेकिन कहीं न कहीं उनकी अक्षमता आड़े आ रही थी। कुछ समय के लिए वह मथुरा चले गये और लगभग 2 साल बाद सनेट लौटे। इस ग्राम पंचायत मे सभी जाति व धर्म के लोग प्रेम व सौहार्द के साथ निवास करते हैं। गाँव की आबादी लगभग 15000 है और गाँव के कई पुरुष किसी न किसी नशे के आदि थे। मथुरा से लौट कर बृजमोहन जी ने अपने गाँव में एक अभियान चलाया जिसमें उन्होंने लोगों को नशे से होने वाले नुकसान के बारे में बताना शुरू किया और गाँव को नशा मुक्त करने का संकल्प लिया। बृजमोहन को सकारात्मक परिणाम मिले जिसने उन्हें और ऊर्जा दी। इस बीच जब एनएसई फाउंडेशन और फिनिश सोसाइटी की टीम ने स्वच्छता कार्यक्रम के तहत गांव में पहल शुरू की तो इसके प्रस्ताव के लिए ग्राम सभा की बैठक बुलाई गई और आगामी कार्य योजना का विवरण प्रस्तुत किया गया इस बैठक के बाद बृजमोहन जी इतने अधिक उत्साहित हुए की उन्होंने पूर्ण रूप से इस परियोजना मे शामिल होने का मन बना लिया। पहले तो जहा यह लग रहा था की कि गीले और सूखे कचरे को अलग करना आसान काम नहीं है, गाँव के लोग यह समझेंगे की नहीं लेकिन बृजमोहन जी के सहयोग से कमियों और चुनौतियों को स्वीकार करते हुए, फिनिश सोसाइटी ने जब पहली बार गांव में नाइट चौपाल आयोजित की और ग्रामीणों को कचरे के नुकसान और कचरे के पृथक्करण और प्रबंधन के लाभों के बारे में समझाया, तब लोगों के उत्साह ने यह साबित कर दिया